Corona

Female Harassment in Corona Times….

कोरोना काल में स्त्री उत्पीड़न ….Ajay Rohilla

इस साल मार्च के महीने में राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्षा रेखा शर्मा का एक बयान आया था कि इस साल औरतों के उत्पीड़न के मामले काफी बढ़ें हैं उन्होंने ये भी माना था कि हालांकि बहुत से ऐसे मामले तो रजिस्टर ही नहीं होते ।
यू एन के अनुसार भी इस प्रकार के अपराध 30 % तक बढ़े हैं ।

कोरोना के समय में जब सभी इस बीमारीं से हरसंभव तरीके से खुद को और दूसरों को बचाने का प्रयास कर रहें है तब महिलाओं और बच्चों के प्रति दुर्व्यवहार की संख्या बढ़ रही है ।
ऐसे में इस समस्या का समाधान का क्या ?

सामान्यत: पीड़ित किसी एन जी ओ या फिर पुलिस की मदत लेता है ।
एन जी ओ के हाथों में कोई कानूनी ताकत नही होती वो सिर्फ समझाने का या सलाह देने का काम ही कर सकते हैं,आजकल के समय में वो भी सिर्फ टेलीफोन के ज़रिए ।

जब इस प्रकार के अपराध की जानकारी पुलिस तक अगर पहुंच भी जाती है तब वो शारीरिक दूरी बनाए रखने की मजबूरी की वजह से जोकि आवश्यक भी है( सिर्फ महाराष्ट्र में ही कोविद 19 की वजह से 26 जुलाई तक 93 पुलिसकर्मी असमय मौत का शिकार हो चुके हैं , ) इस प्रकार के पारिवारिक अपराधों को काउंसलिंग सेंटर में भेज देते है जिससे कांउसलिंग के ज़रिए समझा बुझा कर मामलों को सुलझाया जा सके
पर काउंसलिंग सेंटर के भी काउन्सलर इसी बीमारीं के डर से व्यक्तिगत रूप से काउंसलिंग नहीं कर पा रहे ।

तब होता ये है कि ऐसे मामले लटके रहते हैं

सी डब्ल्यू सी ( सेंटर फॉर वीमेन स्टडी सेंटर ) की भूतपूर्व निर्देशिका प्रोफेसर इंदु अग्निहोत्री कहती हैं कि कोरोना के इस समय में स्त्री उत्पीड़न के अपराधों की संख्या काफी बढ़ी है इसके बहुत से कारण है और भारतीय समाज ये मान कर चलता है कि स्त्रियों को ही एडजस्ट करना चाहिए ,इंदु ये भी कहती हैं कि ये विडम्बना है कि कभी कभी तो पीड़ित स्त्री से पुलिसकर्मी भी ये कह देतें हैं अरे तुमको थोड़ा एडजस्ट करना चाहिए ।
वो आगे कहती हैं कि कोरोना के इस काल में हमने सरकारों से मांग की थी कि सभी प्रकार के एन जी ओ और काउंसलिंग सेंटर्स को अतिआवश्यक सेवाओं की श्रेणी में रखा जाए क्योंकि ऐसे वक्त में इनकी आवश्यकता सामान्य समय के मुकाबले ज्यादा है ।
साथ ही वो ये भी बताती हैं कि कईं स्थानों पर एन जी ओ और इस प्रकार के काउंसलिंग सेंटर पैसों की कमी से भी जूझ रहे है ,स्टाफ को वेतन तक नहीं मिल रहा,साथ ही वो बताती हैं कि इस तरह की समस्यों अपराधों से निपटने के लिए महाराष्ट्र सबसे बेहतर है यहां एन जी ओ और दूसरी सामाजिक संस्थाएं सरकार के साथ मिलकर बाकी राज्यों से बेहतर काम कर रहीं हैं ।

महिलाओं और बच्चों के लिए महाराष्ट्र शासन के स्पेशल सेल की दिव्या तनेजा का कहना है कि सवाल मामलों के बढने या घटने का नहीं है.बेशक महिलाओं ने घटनाओं को दर्ज कराया है, उनकी असुरक्षा बढी है, उन्हें जहाँ से मदद मिल सकती है वे ज़रिए लगातार कम हो रहे हैं. कोई तय प्रोटोकॉल नहीं है. पुलिस खुद भी इसका शिकार हुई है क्योंकि उनके पास पर्याप्त पुलिस फोर्स नहीं है. लेकिन उनकी हेल्पलाइन, 103 पर, मुंबई मे तुंरन्त संज्ञान लिया जाता है ।

सवाल फिर भी वहीं का वहीं है कि आखिर इस कोरोना काल मे स्त्रियों पर बढ़ते उत्पीड़न के मामलों का हल क्या ?
क्या पीड़ित सिर्फ पीड़ित होता रहे ?

Ajay Rohilla

1 Comment

  1. Very important issue brought to light. More people need to raise their voice on this.

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